छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार आरक्षण को लेकर बड़े फैसले की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक बघेल सरकार आरक्षण संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है. इसके लिए दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र कॉल किया गया है. खबर के मुताबिक आरक्षण पर संशोधन विधेयकों का प्रारूप लगभग तैयार हो चुका है. जिसको 24 नवंबर को होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी जा सकती है.
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई बार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की बात कहते रहे हैं. ऐसी उम्मीद है कि भूपेश बघेल सरकार नये आरक्षण संशोधन विधेयक में इसे शामिल कर सकती है. यदि ऐसा होता है तो अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत और अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान होगा. करीब 50% से अधिक आबादी वाले अन्य पिछड़ा वर्ग की बात करें तो उनको मंडल आयोग की सिफारिशों के मुताबिक 27% आरक्षण की भी बात कही जा रही है. यही नहीं केंद्र सरकार से लागू समान्य वर्ग के गरीबों का 10% आरक्षण भी प्रभावी होगा. इस प्रकार देखा जाए तो कुल 81 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा.
2012 के हाईकोर्ट के आदेश के बाद 32 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जनजाति को जबकि 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति को दिया जा रहा था. यही नहीं अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा था. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई अवसर पर से कहते हुए सुने जा चुके हैं कि जनसंख्या के अनुपात के अनुसार आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए.
2012 तक छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति वर्ग को 16% आरक्षण दिया जा रहा था. 2012 में बदलाव के बाद इसे 12% कर दिया गया. गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने इसी का विरोध करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. यदि प्रदेश सरकार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण 13% करती है तो अनुसूचित जाति वर्ग की नाराजगी का सामना उसे करना पड़ सकता है.