केरल सरकार और राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान के बीच तलवारें खींची हुई है. एक लंबे समय से मुख्यमंत्री पिनराई विजयन सरकार और राज्यपाल के बीच खींचतान जारी है. दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. अब खबर आ रही है कि केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केरल की पिनराई विजयन सरकार संवैधानिक विशेषज्ञों और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों से कानूनी परामर्श ले रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में सीपीएम के सूत्रों के हवाले से इस बात का दावा किया गया है.
राज्य सरकार आरिफ मुहम्मद आरिफ खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने सहित विभिन्न विकल्पों की तलाश कर रही है. एलडीएफ सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ संभावित कानूनी विकल्पों पर संवैधानिक विशेषज्ञ फली एस नरीमन और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता से सलाह मांगी है.
राज्य में एलडीएफ सरकार का नेतृत्व करने वाली सीपीएम (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं. शनिवार को पत्रकारों के बीच लीक हुए सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि सरकार ने संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करने के लिए अब तक 46.90 लाख रुपये खर्च किए हैं.
वहीं राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने अक्टूबर के मध्य में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उन्हें महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की विदेश यात्रा के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी. पत्र में खान ने कहा कि उन्हें इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है कि विजयन की अनुपस्थिति के दौरान सरकार के प्रबंधन का काम किसे सौंपा गया था.
बता दें कि इस साल अगस्त में राज्य सरकार की ओर से लाए गए 11 अध्यादेशों पर राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान द्वारा हस्ताक्षर करने से मना करने के बाद राज्यपाल और सरकार के बीच संबंध बिगड़ गए थे. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार ने बाद में अध्यादेशों को पारित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया. हालांकि बाद में खान ने अधिकतम विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिए, लेकिन उन्होंने उनमें से दो के लिए अपनी सहमति को रोक दिया. इनमें एक लोकायुक्त की शक्तियों को कम करने के लिए और दूसरा विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने के लिए अध्यादेश शामिल था.