राजस्थान में जिसकी सम्भावना थी, वही होते दिख रहा है. सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे ही कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने को तैयार हुए. अगले सीएम को लेकर सूबे की राजनीति में हलचल शुरू हो गई है. अशोक गहलोत के समर्थक विधायक नहीं चाहते हैं कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जाए. गहलोत समर्थक करीब 80 विधायकों ने पार्टी पर दबाव बनाते हुए और पायलट के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए स्पीकर सीए पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. कांग्रेस के भीतर चल रही इस गुटबाजी की वजह से सरकार पर ख़तरा मंडराने लगा है. आगे क्या होता है इसपर निगाहें लगी है. कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राजस्थान की राजनीति में भी हलचल शुरू हो गई है. एमएलए प्रताप खाचरियावास ने कहा कि समर्थक सभी विधायक काफी गुस्से में हैं.
उन्होंने कहा, “विधायक इस बात से नाराज हैं कि अशोक गहलोत हमसे बातचीत किए बिना कोई फैसला कैसे ले सकते हैं.” कांग्रेस विधायक ने कहा, “सिर्फ 10-15 विधायकों की ही बात सुनी जा रही है, जबकि बाकी को नजरअंदाज किया जा रहा है. पार्टी हमारी नहीं सुनती है और हमसे सलाह लिए बिना ही फैसले लिए जाते हैं.” वहीं, सीपी जोशी को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की मांग की जा रही है.
इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अजय माकन और सचिन पायलट जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर पहुंचे थे. दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस बात के संकेत दे चुके हैं कि अगर अशोक गहलोत अध्यक्ष बने तो उन्हें सीएम पद त्यागना पड़ सकता है. इस पर गहलोत के समर्थक निर्दलीय विधायकों के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि अगर मन लायक फैसला नहीं हुआ तो राजस्थान में सरकार पर भी खतरा है. पार्टी पर्यवेक्षकों की टीम आज वापस आ कर आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
जानकारी के मुताबिक, विधायकों ने कहा था कि मुख्यमंत्री दोनों पद संभाल सकते हैं. निर्दलीय विधायक और गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा, “अगर विधायकों के मन लायक फैसला होगा तो सरकार चलेगी, लेकिन अगर फैसला उनके मन लायक नहीं लिया गया तो क्या सरकार चल सकेगी? जाहिर है सरकार गिरने का खतरा होगा.”
वहीं, इससे पहले सचिन पायलट को सीएम के रूप में देखे जाने के सवाल पर कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा, “यह एक भावना (भावनात्मक) मुद्दा है. विधायकों में नराजगी है. वो निर्दलीय विधायक थे जिन्होंने राजनीतिक संकट के दौरान हमारी मदद की … इसलिए, हम सभी बैठेंगे और चर्चा करेंगे.
अशोक गहलोत ने रविवार को कहा था, ”कांग्रेस की परंपरा रही है कि चुनाव के दौरान या मुख्यमंत्री के चयन के लिए जब भी सीएलपी की बैठक होती है तो इसमें एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है. जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष को निर्णय लेने का अधिकार देने की बात होती है. मुझे विश्वास है कि यह आज भी होगा.”
इससे पहले आज गहलोत ने कहा कि मुझे कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है, अब नई पीढ़ी को भी मौका मिलना चाहिए. मेरे लिए कोई पद मायने नहीं रखता है. मेरी इच्छा है कि मैं राजस्थान में रहूं. गहलोत ने कहा कि मैं कहां जा रहा हूं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं किस पद पर रहूंगा, ये तो समय बताएगा. मैं चाहता हूं कि राजस्थान में भी अच्छा माहौल बना रहे. मेरी ड्यूटी बनती है कि मैं राजस्थान के लोगों के हर सुख-दुख में साथ रहूं.
उधर कांग्रेस के भीतर चल रहे इस नाटक पर बीजेपी की पैनी निगाहें टिकी है. बीजेपी के नेता कांग्रेस के भीतर चल रहे खेल को महाभारत की संज्ञा दी है, और कहा है कि कौरवो और पांडवो के बीच लड़ाई जारी है और इस खेल में सूबे की जनता त्रस्त है.