Wednesday, December 25, 2024
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गहलोत की मंशा और उयदयपुर चिंतन शिविर की बातों में अटकी कांग्रेस 

 

अब लगभग साफ़ हो गया है कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे. वो उम्मीदवार नहीं बनेंगे और लगातार पार्टी की मजबूती के लिए वो काम करते रहेंगे. बदलती राजनीति में यह भी साफ़ हो गया है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. उधर शशि थरूर भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं. अब देखना है कि पार्टी के दो दिगज्जों के बीच क्या होता है. लेकिन इन बातो से इतर गहलोत को लेकर पार्टी की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. गहलोत अध्यक्ष बनने को तैयार तो हैं लेकिन वो राजस्थान के सीएम भी बने रहना चाहते हैं. गहलोत की यह चाहत उदयपुर चिंतन शिविर की घोषणा एक पार्टी एक पद को कमजोर करती दिख रही है.

उदयपुर घोषणापत्र के अनुसार, ‘संगठन में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत लागू हो. इसी प्रकार एक परिवार, एक टिकट का नियम भी लागू हो.’ अब चुनाव से कुछ समय पहले ही एक ऑनलाइन पिटिशन यानी याचिका भी सामने आई, जिसमें उम्मीदवारों को यह शपथ लेने के लिए कहा जा रहा था कि जीतने की स्थिति में वह उदयपुर घोषणापत्र लागू करने की ओर काम करेंगे. खास बात है कि इस याचिका पर अध्यक्ष पद के एक और दावेदार माने जा रहे शशि थरूर ने भी हस्ताक्षर किए थे.

खबरें हैं कि अगर गहलोत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ते हैं, तो कांग्रेस ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत में बदलाव कर सकती है. बुधवार को उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर अपनी चिंता सामने रखी. कथित तौर पर वरिष्ठ नेता इस बात से परेशान हैं कि अगर वह राष्ट्रीय भूमिका में आते हैं, तो उनकी जगह सचिन पायलट को सीएम बना दिया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक के बाद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का बयान चर्चा में गया. ‘एक पार्टी एक पद’ को लेकर पूछे गए सवाल में वेणुगोपाल ने कहा, ‘यह लागू होना इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन चुनाव लड़ता है और कौन जीतता है.’ सोनिया से मुलाकात से पहले गहलोत भी कहते रहे, ‘एक व्यक्ति मंत्री रह सकता है और कांग्रेस अध्यक्ष भी चुना जा सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी के फायदे के लिए कुछ भी करूंगा, एक पद, दो पद या तीन पद, मैं झुकूंगा नहीं.’ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी उदयपुर घोषणापत्र का जिक्र कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका कहना है कि अगर गहलोत पार्टी प्रमुख बनते हैं, तो उन्हें सीएम पद छोड़ना होगा.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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