अखिलेश अखिल
दैनिक भास्कर ने गुजरात में कोयला घोटाले का खुलासा कर चुनावी माहौल में सनसनी फैला दी है. यह कोयला घोटाला 6 हजार करोड़ का बताया जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि इस घोटाले को भी बिहार के चारा घोटाला के ही तर्ज पर अंजाम दिया गया है. कांग्रेस ने इस पुरे घोटाले को चारा घोटाला का बाप बताया है. रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात सरकार की एजेंसियों ने राज्य की स्मॉल और मीडियम लेवल की इंडस्ट्रीज के नाम पर कोयला मंगाया लेकिन इसे महंगी कीमत पर दूसरे राज्यों को बेच दिया.
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, ‘गुजरात सरकार में 6,000 करोड़ रुपये का “कोयला घोटाला”! खदान से 60 लाख टन कोयला आया-हुआ गायब. भाजपा सरकार ने 4 निजी कंपनियों को कोयला लाने के लिए अधिकृत किया, लेकिन तीन का पता नकली निकला. शायद जबाब होगा- ‘न कोई कोयला लाया, न कोयला आया’, मामला बंद, पैसा हज्म!’ उन्होंने साथ ही इस रिपोर्ट को भी ट्वीट किया है. कांग्रेस के एक अन्य नेता संजय निरूपम ने ट्वीट किया, ‘गुजरात का कोयला घोटाला चारा घोटाले का बाप है. खदान से निकला 60 लाख टन कोयला. बीच रस्ते में गायब हो गया. 6000 करोड़ रुपये की लूट. लूट में कौन-कौन शामिल है, इसकी जाँच होनी जरूरी है.’
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गुजरात में करीब 6,000 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला सामने आया है. इसमें कहा गया है कि पिछले 14 साल में गुजरात सरकार की कई एजेंसियों ने राज्य की स्मॉल और मीडियम लेवल की इंडस्ट्रीज को कोयला देने के बजाय इसे दूसरे राज्यों के उद्योगों को ज्यादा कीमत पर बेचकर पांच हजार से छह हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोल इंडिया की विभिन्न कोयला खदानों से निकाला गया कोयला उन उद्योगों तक पहुंचा ही नहीं, जिनके लिए उसे निकाला गया था. रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले से दावा किया गया है कि अब तक कोल इंडिया की खदानों से गुजरात के व्यापारियों, छोटे उद्योगों के नाम पर 60 लाख टन कोयला भेजा गया है. इसकी औसत कीमत 3,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से 1,800 करोड़ रुपये होती है, लेकिन इसे व्यापारियों और उद्योगों को बेचने के बजाय 8 से 10 हजार रुपये प्रति टन की कीमत पर अन्य राज्यों में बेचकर कालाबाजारी की गई है.
गुजरात सरकार की ओर से कोल इंडिया को कोयले के लाभार्थी उद्योगों की सूची, जरूरी कोयले की मात्रा, किस एजेंसी से कोयला भेजा जाएगा, ऐसी तमाम जानकारियां भेजनी होती हैं. भास्कर की जांच में कोल इंडिया को भेजी गई जानकारी पूरी तरह झूठी निकली है. कैसे, यह हम आपको बता रहे हैं. गुजरात सरकार द्वारा नियुक्त की गई एजेंसी ‘गुजरात कोल कोक ट्रेड एसोसिएशन’ के निदेशक अली हसनैन दोसानी ने बताया कि हम अपने अधिकांश कोयले की आपूर्ति दक्षिण गुजरात के कपड़ा उद्योगों को करते हैं. इसलिए भास्कर ने साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के जितेंद्र वखारिया से संपर्क किया, लेकिन वखारिया ने कहा, ‘मैं इस धंधे में 45 साल से हूं. ऐसी योजना के तहत कभी किसी भी प्रकार का कोयला नहीं मिला.’
दस्तावेजों में जिन उद्योगों के नाम पर कोल इंडिया से कोयला निकाला गया, वह उन उद्योगों तक पहुंचा ही नहीं. शिहोर के उद्योग में जय जगदीश एग्रो इंडस्ट्रीज को लाभार्थी दिखाया गया है. इंडस्ट्रीज के जगदीश चौहान ने भास्कर से कहा, ‘मुझे तो यह भी नहीं पता कि हमें सरकार से कोई कोयला मिलता है. अभी तक इस बारे में हमसे कोई संपर्क नहीं किया गया. हम तो स्थानीय बाजार से कोयला खरीदते हैं.’
इसी तरह ए एंड एफ डिहाइड्रेट फूड्स के शानू बादामी ने कहा- ‘ऐसा कोई कोयले का जत्था हमें कभी नहीं मिला है. हम अपनी जरूरत का ज्यादातर कोयला जीएमडीसी की खदानों से खरीदते हैं या हम आयातित कोयला खरीदते हैं. कोयला अब हमारे लिए महंगा पड़ता है.’
जब भास्कर ने उन एजेंसियों की पड़ताल की, जिन्हें गुजरात सरकार ने नियुक्त किया है तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. एजेंसियों ने अपना जो पता लिखाया है, वहां उस नाम का कोई संगठन ही नहीं है. यहां तक कि पंजीकृत कार्यालय का पता भी गलत है.
काठियावाड़ कोल कोक कंज्यूमर एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन नमक इस एजेंसी ने सीजी रोड स्थित एक निजी परिसर में पंजीकृत कार्यालय का पता बताया है, लेकिन दिए गए पते पर अब CA का कार्यालय है, जो 4 साल से चल रहा है. इस परिसर के बनने से पहले यहां एक पत्रिका का कार्यालय हुआ करता था. स्थानीय लोगों ने बताया कि कोयला व्यापार में शामिल किसी संगठन, फर्म या कंपनी का कार्यालय इस ऑफिस में ही नहीं, बल्कि पूरे परिसर में कहीं नहीं है.
इसी तरह गुजरात कोल कोक ट्रेड एसोसिएशन नामक एजेंसी ने अहमदाबाद के एलिस ब्रिज इलाके में अपने कार्यालय का पता बताया है. वहां जाकर जांच की तो पता चला कि वहां ट्रेड एसोसिएशन का ऑफिस तो नहीं है, पर एक ट्रेडिंग एजेंसी ‘ब्लैक डायमंड’ जरूर काम कर रही है. यह भी कोयले के व्यापार से ही जुड़ी है. एजेंसी के मालिक हसनैन अली दोसानी ने कहा, ‘हम दक्षिण गुजरात के व्यापारियों को कोयले की पूरी मात्रा बेचते हैं.’ इसी तरह सौराष्ट्र ब्रिकवेटिंग एजेंसी का पता सीजी रोड पर दिखाया गया है, लेकिन वहां जांच करने पर एक ट्रैवल एजेंसी का ऑफिस मिला है.
चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस मामले पर उद्योग विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से बच रजा है और एक दूसरे अधिकारी पर पल्ला भी झाड़ रहे हैं.