Thursday, November 21, 2024
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राजद्रोह मामला दर्ज करने में असम सबसे ऊपर, दूसरे नंबर पर हरियाणा 

 

पिछले आठ सालों में देश के भीतर कुल 475 राजद्रोह के मामले दर्ज हुए हैं. जिनमे सबसे ज्यादा 69 मामले असम में दर्ज किये गए हैं. जबकि दूसरे नंबर पर हरियाणा राज्य रहा है. हरियाणा में 42 मामले राजद्रोह के दर्ज किये गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक असम में पिछले 8 सालों के दौरान सबसे ज्यादा राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2014 से लेकर साल 2021 के बीच देश में दर्ज किए गए 475 राजद्रोह के मामलों में से 69 मामले सिर्फ असम से ही थे. असम में आए मामलों की संख्या 8 साल के कुल आंकड़ों (राजद्रोह के 475 मामलों) का 14.52 प्रतिशत है. इसका मतलब है कि पिछले आठ वर्षों में देश में दर्ज छह में से एक राजद्रोह का मामला असम से आया है.

एनसीआरबी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जारी किए गए आंकड़ों की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें एकत्र करके प्रकाशित किया है. वहीं साल 2014 से हुए राजद्रोह के अब तक के मामलों पर आईपीसी की धारा 124 ए के तहत रजिस्टर्ड डेटा उपलब्ध है.

एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के लेटेस्ट वर्जन से इस बात का पता चला है कि साल 2021 में देश भर में 76 राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे, जो कि साल 2020 में दर्ज किए गए 73 से मामूली रूप से ज्यादा थे. वहीं साल 2019 में इन मामलों की संख्या 93, 2018 में 70, साल 2017 में 51 मामले, साल 2016 में 35 मामले, साल 2015 में 30 मामले और 2014 में 47 मामले दर्ज थे.

राजद्रोह के मामलों के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि असम के बाद, ऐसे सबसे अधिक मामले हरियाणा (42 मामले) से सामने आए, इसके बाद झारखंड (40), कर्नाटक (38), आंध्र प्रदेश (32) और जम्मू और कश्मीर ( 29). इन छह राज्यों में 250 मामले दर्ज किए गए हैं. जो कि 8 साल में पूरे देश में दर्ज कुल राजद्रोह के मामलों की संख्या के आधे से अधिक हैं.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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