Friday, October 18, 2024
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भारत को उकसा रहा चीन, डेमचक में भारतीय चरवाहों पर रोक 

 

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच फिर से तनाव बढ़ गया है. चीनी सैनिकों ने एलएसी के पास डेमचक में कुछ भारतीय चरवाहों को अपने जानवरों को चराने से रोक दिया है. सैनिकों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनका क्षेत्र है. ये मामला 21 अगस्त का बताया जा रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने डेमचक में सीएनएन जंक्शन पर सैडल के पास भारतीय चरवाहों की मौजूदगी पर आपत्ति जताई. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए भारतीय सेना के कमांडरों और चीनी सैनिकों के बीच 26 अगस्त को बैठक भी हुई.

बता दें कि भारत और चीन अप्रैल 2020 से इस क्षेत्र में डटे हुए हैं. वहीं, 15 जून 2020 को गलवान में दोनों पक्षों में हुई झड़प के बाद सेक्टर के कई क्षेत्र ‘नो पेट्रोलिंग जोन’ बन गए हैं. इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, वहीं भारत ने भी चीन को काफी नुकसान पहुंचाने का दावा किया. इस झड़प के बाद से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों ने जवानों की तैनाती में इजाफा किया हुआ है. दोनों देशों ने करीब इस इलाके में 50-50 हजार सैनिक तैनात किए हुए हैं. हालांकि, कई दौर की बातचीत के बाद पिछले साल दोनों देशों ने पैंगोंग और गोगरा से अपनी सेनाओं को वापस ले लिया था. दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन चीन एलएसी पर भारत को उकसाने की कोशिशें कर रहा है.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि चरवाहे अक्सर इस क्षेत्र में आते रहे हैं. 2019 में भी इस मसले को लेकर दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हुई थी. सूत्रों का कहना है कि दोनों सेनाओं के बीच इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई. यह स्थानीय स्तर पर कमांडरों के बीच मुद्दे को हल करने और एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए एक नियमित बैठक थी. एलएसी पर ऐसी बैठकें प्रोटोकॉल के तहत होती रहती हैं.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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