चुनावी रणनीतिकारों को लगता है कि उन्ही के गणित पर राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतती है. हार होने पर वही रणनीतिकार पार्टियों और उसके नेताओं को दोषी ठहराते हैं. राजनीति चूंकि प्रपंच से संचालित होती है और इस प्रपंच में ठगी के हर गुण विराजमान होते हैं. चुनावी जीत को आप कला कहें या फिर गेम, लेकिन एक बात साफ़ है कि अगर पार्टियों का संगठन मजबूत है और जातीय समीकरण उसके पक्ष में है तो जीत की सम्भावना को चुनावी रणनीतिकार ठोस रूप दे देते हैं. चुनावी विश्लेषक योगेंद्र यादव को कौन नहीं जनता ! वो चुनाव का बेहतर विश्लेषण करते हैं और जातीय समीकरण को बेहतर समझते भी हैं. पहले आम आदमी पार्टी की राजनीति को आगे बढ़ाने में यादव की काफी भूमिका थी. लेकिन बाद में वो अलग हो गए. चुनावी झूठ से तंग आकर उन्होंने स्वराज इंडिया नाम का संगठन खड़ा किया और पिछले हरियाणा चुनाव में संगठन को उतारा भी लेकिन हाथ कुछ भी नहीं लगा. लेकिन वो धुन के पक्के हैं और सच कहने से कभी चूकते नहीं.
अब खबर आ रही है कि वो कांग्रेस के साथ गलबहियां करने को तैयार हैं. सितम्बर महीने के पहले सप्ताह में कांग्रेस देश भर में पद यात्रा करने जा रही है. यह कांग्रेस की सबसे बड़ी जनसंपर्क यात्रा मानी जा रही है. खबर के मुताबिक़ योगेंद्र यादव ने राहुल गाँधी से संपर्क साधकर इस यात्रा में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है. यादव की इस इच्छा पर पार्टी के भीतर मंथन हुआ और फिर उन्हें हरी झंडी दे दी गई है. इस सहयोग का आगामी चुनावों में क्या असर होगा इसे देखना बाकी है. कांग्रेस मानकर चल रही है कि यादव के साथ आने से देश के किसान पार्टी के साथ जुड़ेंगे और बीजेपी की राजनीति पर हमला और भी तेज होगा.
जानकारी के मुताबिक़ योगेंद्र यादव अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय नहीं करेंगे. उनका स्वराज इंडिया अपना काम करता रहेगा और चुनाव भी लड़ेगा. लेकिन जानकार मान रहे हैं कि राहुल गाँधी के साथ योगेंद्र यादव के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं. इसलिए आगामी चुनावों में संभव है कि कांग्रेस और स्वराज इंडिया के बीच गठबंधन भी हो. हरियाणा में कांग्रेस को इसका लाभ मिल भी सकता है और हिमाचल से लेकर गुजरात चुनाव में योगेंद्र यादव के साथ कांग्रेस को मजबूती मिल सकती है.
फिलहाल वो कांग्रेस के राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के लिए जुड़ रहे हैं. कांग्रेस की यह यात्रा सात सितंबर से शुरू होगी और राहुल गांधी सहित पार्टी के नेता साढ़े तीन हजार किलोमीटर पैदल चलेंगे. बताया जा रहा है कि योगेंद्र यादव ने खुद कांग्रेस से संपर्क किया और कहा कि वो इस यात्रा में कांग्रेस के साथ जुड़ना चाहते हैं. कांग्रेस की मदद करना चाहते हैं. कांग्रेस ने उनके प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया है. इस यात्रा में वो क्या भूमिका निभाएंगे. यह आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन ऐसा लग रहा है कि आम आदमी पार्टी के साथ रहते और उसके बाद भी उनकी जो कटुता कांग्रेस से बनी थी उसे दोनों ने भुला दिया है. ध्यान रहे एक समय वो राहुल गांधी के बेहद करीबी थे, लेकिन बाद में यह कहने लगे थे कि कांग्रेस को समाप्त हो जाना चाहिए.