पीएम मोदी के खिलाफ बोलने वाले को बीजेपी कभी बर्दाश्त नहीं करती है. मुखालिफत की आवाज चाहे विपक्षी की हो या फिर अपनी ही पार्टी की क्यों न हो. राजनीति साधने की इसी कला को गुजरात मॉडल के रूप में देखा जाता है. जिस तरह से पिछले सालों में बीजेपी के कई नेताओं के पर कतरे गए हैं उसे देखते हुए तो यही लगता कि मौजूदा बीजेपी यह मान कर चलती है कि मोदी के सिवाए पार्टी में किसी की कुछ नहीं चलती.
2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में पार्टी अभी से जुट गयी है. बिहार में गठबंधन दल के अलग होने के बाद बीजेपी ने बुधवार यानी 17 अगस्त को 15 सदस्यीय नये संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति का ऐलान किया है. मगर, इस समिति से केंद्रीय राजमार्ग, सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बोर्ड से बाहर कर दिया गया. बीजेपी के इस फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के राजनीति से सन्यास की अटकलें भी तेज हो गयी हैं.
दरअसल, वह एक कार्यक्रम में सियासत से मन भरने की बात भी कह चुके है. उनका कहना था कि सियासत के अलावा और भी कई अहम काम हैं. समाज के लिए करने को. नितिन गडकरी के इस बयान के बाद अब जब उन्हें संसदीय बोर्ड और चुनाव सिमित से बाहर कर दिया गया, तो उनके संन्यास लेने की अटकलें और तेज हो गयी हैं. गडकरी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे थे. यहां पर पार्टी के कैलाश विजयवर्गीय और कांग्रेस से आये ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बागडोर संभालने को लाइन में लगे हैं. इसके साथ ही कई अन्य नेता भी मध्य प्रदेश की बागडोर सभालने की कोशिश में लगे हैं.
बीजेपी के एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि नरेंद्र मोदी के पहले मंत्रिमंडल में 55 मंत्री प्रधानमंत्री से सीनियर थे. इसमें से 53 मंत्री बाहर हो चुके हैं. सुषमा स्वराज, गोपीनाथ मुंडे, मनोहर परिकर, अरुण जेटली समेत कई नेताओं का निधन हो गया. जबकि मुख्तार अब्बास नकवी कई दिग्गज नेता मंत्रीमंडल से बाहर हो गए. इसमें सिर्फ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बचे हैं. अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी चुनाव समिति से बाहर हो गए हैं. जानकार इसके कुछ अलग मायने निकाल रहे हैं. जिसपर आने वाले दिनों में खुलासा हो जाएगा.
बीजेपी की संसदीय बोर्ड कमेटी से नितिन गडकरी को बाहर करने के बाद उनके 2024 में चुनाव न लड़ने को लेकर भी अटकलें लगाई जाने लगी हैं. इसके साथ ही बीजेपी की नजर अब उन नेताओं पर भी है जिनको पिछले समय में मंत्री पद से हटाया गया था. प्रकाश जावड़ेकर, रविशंकर प्रसाद और राजीव रूडी को लेकर भी चर्चा चल रही है कि अगले चुनाव में इन्हे टिकट नहीं दिए जायेंगे.