Tuesday, April 30, 2024
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सदा याद रहेंगे शिंजो आबे 

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे अब हमारे बीच नहीं हैं. दो दिन पहले उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. आबे अपने देश जापान के ही केवल विकाश पुरुष के रूप में नहीं उभरे थे, वो दुनिया में सद्भाव और शांति के भी दूत थे. आबे भारत के मित्र थे और भारतीय संस्कृति के प्रशंसक भी. वो क्वाड के संस्थापक भी थे और विकास के युगपुरुष भी. भारत उनके निधन से दुखी है. भारत अपने एक सच्चे दोस्त के इस दुनिया से चले जाने से आहत है.

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे वर्ष 2015 में वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गंगा आरती में शामिल हुए थे. उस कार्यक्रम की उनकी तस्वीरें उनके भारत से जुड़ाव का प्रतीक हैं और भारत के साथ उनके ‘विशेष बंधन’ को भी बखूबी दर्शाती हैं. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने माथे पर तिलक लगाया था और उनके हाथों में पूजा की थाली थी.

वहीं, गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी के साथ साबरमती आश्रम जाते हुए रोड शो के दौरान कुर्ता-पाजामा और नीले रंग की सदरी में नजर आये शिंजो आबे की तस्वीरों ने भी सभी का ध्यान आकर्षित किया था. हालांकि, इसमें कूटनीतिक संदेश भी था, क्योंकि इन यात्राओं से इतर दोनों देश आर्थिक भागीदारी को और मजबूती दे रहे थे.

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को वर्ष 2021 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाना भी भारत के साथ उनके विशेष जुड़ाव का प्रतीक है. पद्म विभूषण भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. शिंजो आबे की एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को गोली मारकर हत्या कर दी गयी. 67 वर्षीय शिंजो आबे को पश्चिमी जापान के नारा में भाषण शुरू करने के कुछ मिनटों बाद ही गोली मार दी गयी थी. उन्हें एयर एम्बुलेंस से एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.

अपने ‘प्रिय मित्र’ शिंजो आबे के निधन पर गहरा शोक जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को ट्विटर पर भावुक प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि अपने हालिया जापान दौरे पर उनकी मुलाकात आबे से हुई थी और उनसे कई मुद्दों पर चर्चा का अवसर मिला था. लेकिन ‘मुझे तनिक भी अंदाजा नहीं था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी.

मोदी ने कहा कि आबे ने भारत-जापान संबंधों को विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर पर ले जाने में अहम योगदान दिया. सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद संभालने वाले आबे के न केवल मोदी, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मधुर संबंध रहे. वर्ष 2006 में मनमोहन सिंह और आबे ने नयी चुनौतियों पर विचार किया था और संबंधों को वैश्विक और सामरिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया था.

वर्ष 2007 में शिंजो आबे भारतीय संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले पहले जापानी प्रधानमंत्री बने. तब अपने संबोधन के दौरान आबे ने उस समय को भी याद किया था, जब 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उनके दादा और जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नोबुशुके किशी की अगवानी की थी. आबे ने वर्ष 2014 में गणतंत्र दिवस परेड में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की थी.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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