Thursday, March 28, 2024
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लोकतंत्र का खेल : गरीबो को पांच किलो अनाज के बदले अमीरों के दस लाख करोड़ की माफ़ी 

 

अब संसद सत्र की समाप्ति हो जाएगी. संसद की कार्यवाही चाहता कौन है ? ऐसे में पक्ष और विपक्ष जनता के सवालों से कतराते रहे हैं. हर साल सत्र की कार्यवाही लगातार छोटी होती जा रही है. लेकिन सवालों के जबाव तो सरकार को देने ही पड़ते हैं. बीते दिनों इसी संसद में महंगाई को लेकर पक्ष -विपक्ष में खूब तमाशा हुआ. विपक्ष ने महंगाई से देश की बढ़ती परेशानी का बखान किया तो सत्ता पक्ष ने महंगाई कही नहीं दिखने की बात कही. उसी में यह भी कहा गया कि यह सरकार देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में खाना खिलाती रही है. इस जबाव से देश अचंभित हो गया. बीजेपी के भीतर भी खलबली मची. वरुण गाँधी नहीं माने. सरकार को उन्होंने घेरा. वरुण गाँधी बीजेपी के सांसद हैं लेकिन अपनी बात कहने से नहीं चूकते. इसलिए आज हाशिये पर हैं. उन्होंने सरकार को घेरा और कहा कि जो सदन गरीब को 5 किलो राशन दिए जाने पर ‘धन्यवाद’ की आकांक्षा रखता है. वही सदन बताता है कि 5 वर्षों में भ्रष्ट धनपशुओं का 10 लाख करोड़ तक का लोन माफ हुआ है. सरकारी खजाने पर आखिर पहला हक किसका है?

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने अपनी ही पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे के उस बयान पर भी तंज बोला. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सभा में कहा था फ्री की रेवड़ी वालों से सावधान रहना चाहिए. मामले में वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए अपनी ही पार्टी को कठघरे में खड़ा किया. लिखा, “जो सदन गरीब को 5 किलो राशन दिए जाने पर ‘धन्यवाद’ की आकांक्षा रखता है. वही सदन बताता है कि 5 वर्षों में भ्रष्ट धनपशुओं का 10 लाख करोड़ तक का लोन माफ हुआ है.” बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट किया कि मेहुल चौकसी और ऋषि अग्रवाल का नाम फ्री की रेवड़ी सूची में सबसे ऊपर है. वो आगे लिखते हैं कि सरकारी धन पर पहला अधिकार किसका है?

वरुण गांधी ने वित्त राज्य मंत्री भागवत के कराड द्वारा सदन में पेश डाटा को भी ट्वीट में साझा किया. इसमें उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि सरकार ने पिछले कुछ सालों में अरबपतियों को करोड़ों के लोन दिए और वो देश छोड़कर भाग निकले.

बता दें कि बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्ष में लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाला है. वित्त राज्यमंत्री भागवत के. कराड ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, बट्टेखाते में डाली जाने वाली राशि इससे पिछले वित्त वर्ष के 2,02,781 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 1,57,096 करोड़ रुपये रह गई. वर्ष 2019-20 में, बट्टेखाते में डाली गई राशि 2,34,170 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2018-19 में 2,36,265 करोड़ रुपये के पांच साल के रिकॉर्ड स्तर से कम थी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के दौरान, बैंकों ने बट्टे खाते में 1,61,328 करोड़ रुपये डाले थे. मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर पिछले पांच वित्त वर्ष (2017-18 से 2021-22) में 9,91,640 करोड़ रुपये का बैंक ऋण बट्टे खाते में डाला गया है.

उन्होंने यह भी कहा, ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) और सभी भारतीय वित्तीय संस्थान रिजर्व बैंक को बड़े ऋण पर सूचना के केंद्रीय रिपोजिटरी (सीआरआईएलसी) के तहत 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के कुल ऋण लेने वाले सभी उधारकर्ताओं के बारे में जानकारी देते हैं.’ रिजर्व बैंक के अनुसार, जानबूझकर ऋण चुकाने में चूक करने वालों के संबंध में सीआरआईएलसी आंकड़े वर्ष 2018-19 से रखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में ऋण अदायगी मामलों में जानबूझकर चूक करने वालों की कुल संख्या 10,306 थी.

जानबूझकर चूक करने वालों की सबसे अधिक संख्या वर्ष 2020-21 में थी. उस दौरान 2,840 ने ऋण लौटाने में चूक की थी. उसके अगले वर्ष यह संख्या 2,700 थी. मार्च 2019 के अंत में ऐसे चूककर्ताओं की संख्या 2,207 थी, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 2,469 हो गई. मार्च 2022 तक शीर्ष 25 चूककर्ताओं का विवरण साझा करते हुए कराड ने कहा कि गीतांजलि जेम्स लिमिटेड इस सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग, कॉनकास्ट स्टील एंड पावर, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का स्थान है.

फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर बैंकों का 7,110 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग पर 5,879 करोड़ रुपये और कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लिमिटेड पर 4,107 करोड़ रुपये बकाया है. इसके अलावा, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड ने बैंकों से सिलसिलेवार 3,984 करोड़ रुपये और 3,708 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है. इसके अलावा फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड पर 3,108 करोड़ रुपये, विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी पर 2,671 करोड़ रुपये, रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड पर 2,481 करोड़ रुपये, कोस्टल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड पर 2,311 करोड़ रुपये और कुडोस केमी पर 2,082 करोड़ रुपये बकाया हैं.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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