Friday, March 29, 2024
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बेरोजगारी : खाली पद और चुनावी वादों से हलकान युवा 

सामने चुनाव है और देश के युवाओं में बेरोजगारी को लेकर अशांति. सरकार के लोगों को पता है कि देश की युवा शक्ति अगर चुनाव जीता सकती है तो हरा भी सकती है. पिछले आठ सालों से रोजगार और बेरोजगारी पर जंग छिड़ी है. नए रोजगार और नई नौकरी की बात तो छोड़ दीजिये हर महीने लाखों की संख्या में वो लोग बेरोजगार हो रहे हैं जो कभी काम करते थे और परिवार चला रहे थे. ऐसा भी नहीं है कि इस स्थिति की जानकारी सरकार को नहीं है. वह जानती तो बहुत कुछ है लेकिन करना नहीं चाहती. जब सस्ते मुद्दों पर ही देश की राजनीति और वोट को अपने पक्ष में किया जा सकता है तो फिर रोजगार के नाम पर सरकारी तिजोरी को ढीला करने की क्या जरूरत है. पिछले दो लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधान सभा चुनाव में सत्ता पक्ष हमेशा रोजगार देने की बात तो करता रहा लेकिन किसी और मुद्दे पर वोट उगाहता रहा. बेरोजगारों को लगता था कि अब उसकी सुध ली जा सकती है लेकिन राजनीति की माया को युवा क्या जाने !

सामने फिर चुनाव है इस साल के आखिरी से जो चुनाव शुरू होंगे 2024 और 25 तक चलते रहेंगे. बीजेपी की पूरी तैयारी है कि चुनावी राज्यों में फिर से उसकी सरकार बने. कमजोर और बेबस विपक्ष मुद्दे को उठाता है लेकिन उसे ऐसे जाल में फंसा दिया जाता है कि जाल से निकलने में ही जनता के मसलों को भूल जाता है. देश की तमाम विपक्षी पार्टियां आज सरकार के चंगुल में है. हर पार्टी के लोग सरकार के निशाने पर हैं.

इसी बीच कुछ आंकड़े सामने आये हैं. पिछले दिनों एक आंकड़ा यह बता गया कि पिछले आठ साल में केंद्र सरकार ने कोई आठ लाख नौकड़ियों का सृजन किया जबकि 20 करोड़ से ज्यादा बेरोजगार युवाओं ने आवेदन किया था. कल्पना कीजिये कि 20 करोड़ में आठ लाख रोजगार !

अभी पिछले दिनों एक और आंकड़ा सामने आया. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कार्मिक लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने संसद को बताया कि केंद्र सरकार में अलग-अलग विभागों में 9,79,327 पद खाली हैं. जितेंद्र सिंह ने एक सरकारी सालाना रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एक मार्च 2021 तक केंद्र सरकार में ग्रुप ‘ए में 23,584 पोस्ट खाली हैं, ग्रुप ‘बी ‘ में 1,18,807 और ‘सी ‘ में 8,36,936 पद खाली हैं.

एक तीसरा आंकड़ा भी सामने आया. पीएम मोदी ने कहा कि पिछले डेढ़ साल के भीतर करीब दस लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा. जाहिर है पीएम मोदी के इस घोषणा को चुनावी मसले के रूप में देखा जा सकता है. लेकिन युवाओं में उत्साह है.

अब देश के बेरोजगारों का हाल भी जान लीजिये. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी यानी सीएमआईई के आंकड़ों से पता चलता है कि देश की बेरोजगारी दर जून में बढ़कर 7.8 फीसदी हो गई है, जो पिछले महीने में 7.1% थी. शहर से ज्यादा गांव में बेरोजगारी का असर देखने को मिला है. भारत के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.03% हो गई है.

जून 2022 के भारत के लेबर से जुड़े आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं. 1 करोड़ 30 लाख लोगों ने नौकरी खो दी है. मई में रोजगार का आंकड़ा 40 करोड़ से घटकर 39 करोड़ हो गया है. देश में जब लॉकडाउन भी नहीं लगा है. उस दौरान रोजगार में यह सबसे बड़ी गिरावट है. वहीं अप्रैल और मई 2022 के दौरान रोजगार में 8 मिलियन की वृद्धि हुई थी. लेकिन मई में रोजगार में हुई बड़ी गिरावट ने इस अप्रैल में हुए फायदा को मिटा दिया है. जून में रोजगार पिछले 12 महीने यानी जुलाई 2021 के बाद से सबसे कम है.

इधर जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक देश भर के सेंट्रल स्कूल में 12,000 से ज्यादा टीचिंग पोस्ट और 1,332 नॉन-टीचिंग पद भी खाली हैं. वहीं नवोदय विद्यालयों में 3,000 से ज्यादा टीचिंग पोस्ट खाली हैं. प्रोफेसर टाइप वैकेंसी का इंतजार कर रहे लोगों को भी बता दें कि शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने संसद को बताया कि 44 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग 19,000 टीचिंग पोस्ट में से 6,500 से ज्यादा फैकल्टी की पोजीशन खाली हैं, जिनमें से 3,669 रिजर्वड कैटेगरी के हैं. मंत्रालय ने संसद को यह भी बताया कि देशभर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 22 कुलपतियों के पद भी खाली हैं.

अग्निपथ स्कीम के तहत चार साल के लिए सेना में जवानों की भर्ती का फैसला तो सरकार ने कर लिया लेकिन आपको बता दें कि भारतीय सेना में कुल 1,16,464, भारतीय नौसेना में 13,597 और भारतीय वायु सेना में 5,789 पोस्ट खाली हैं.

अब अगर देशभर की पुलिस फोर्स की बात करें तो यहां भी पद खाली हैं. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के आंकड़ों के अनुसार पुलिस की स्वीकृत संख्या 26,23,225 है. वास्तविक संख्या 20,91,488 है और 1 जनवरी, 2020 तक 5,31,737 पद खाली पड़े हैं. इनमें सबसे ज्यादा पद यूपी में खाली हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस में करीब एक लाख पद खाली हैं.

दूसरी तरफ समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) स्कीम के लिए फंड तय करने वाली शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठकों में हुई चर्चा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 1.26 लाख से अधिक पद खाली हैं. उधर, मध्य प्रदेश में एक लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली है. नौकरी की चाहत रखने वाले चाहें तो मध्यप्रदेश की तरफ भी देख सकते हैं. संसद में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि मध्य प्रदेश में शिक्षकों के 1,01,963 पद खाली हैं. बिहार, जहां बीजेपी – जेडीयू सत्ता में साथ है, वहां करीब 1 लाख 87 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं.

जो कांग्रेस बीजेपी को बेरोजगारी पर घेरती रहती है वो राजस्थान मे बेरोजगारी पर खामोश दिखती है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी दर में 29.8 प्रतिशत के साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर है. हरियाणा, जिसके मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अग्निपथ स्कीम वाले अग्नीवीरों को नौकरी देने का दावा कर रहे थे. उनका राज्य बेरोजगारी दर के मामले में टॉप पर है. हरियाणा में बेरोजगारी दर 30.6 प्रतिशत है. असम में 17.2 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 17.2 फीसदी और बिहार में 14 फीसदी बेरोजगारी दर है.

ये तो कुछ आंकड़े भर हैं. कई और राज्यों में बड़ी संख्या में सरकारी पद खाली है लेकिन सरकार नियुक्तियां नहीं कर रही है. सरकार इसे बोझ समझ रही है. चुकी सांसद – विधायक आप चुनकर भेजते हैं इसलिए उन्हें सारी सुविधाएं दी जाती है. भविष्य सुरक्षित रहे इसलिए पेंशन की भी व्यवस्था है. ऊपर से कमाने के लिए कई तरह की योजनाए भी. लेकिन आप तो जनता है. धरम और राष्ट्रवाद को जिन्दा रखने के लिए आपको आहुति तो देनी ही होगी. आप ही राष्ट्र को अक्षुण्ण रख सकते हैं. धर्मिक उन्माद पैदा कर समाज को बाँट सकते हैं और अपने भविष्य को चौपट कर सकते है या फिर बना सकते हैं.

युवाओं की शक्ति बड़ी होती है. देश निर्माण में उनका योगदान सबसे अहम् है. लेकिन स्वयं और अपने परिवार का पोषण करना भी उनका कर्त्तव्य है. और यह तभी संभव है जब सबको काम मिले और दाम भी. ऐसा हुआ तो देश को आगे बढ़ने से कौन रोक सकता है.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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