Thursday, April 18, 2024
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पत्रकार को कैसे कह सकते हैं वो न लिखे ? जुबैर को बेल देते हुए योगी सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

 

ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मुहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी 6 एफआईआर में अंतरिम जमानत देते हुए मुहम्मद जुबैर को अदालत ने बड़ी राहत दे दी. अदालत ने जुबैर को 20 हजार रु के निजी मुचलके पर बेल दे दी. गौरतलब है कि Alt News के को – फाउंडर ने अपने खिलाफ यूपी में दर्ज सभी 6 एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

 

सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मुहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को क्लब करने और उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी छह एफआईआर को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है. अदालत ने जुबैर के ट्वीट्स की जांच के लिए गठित एसआईटी को भंग कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने मामलों को रद्द करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुबैर अपने खिलाफ दर्ज सभी या किसी भी एफआईआर को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट जा सकते हैं.

 

जुबैर की याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से पेश हुई वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि यह बार-बार कहा जाता है कि आरोपी पत्रकार है. लेकिन वह पत्रकार नहीं है. क्योंकि आरोपी खुद को फैक्ट चेकर कहता है. फैक्ट चेकिंग की आड़ में आरोपी दुर्भावनापूर्ण और भड़काऊ पोस्ट करता है. गरिमा प्रसाद ने कहा कि जुबैर को ट्वीट्स के लिए पैसे मिलते हैं. जितने अधिक दुर्भावनापूर्ण ट्वीट, उतना अधिक पैसा जुबैर को मिलता है. उन्होंने यह माना है कि उन्हें 2 करोड़ रुपये से ज्यादा रु मिले हैं. वह कोई पत्रकार नहीं है.

 

वहीं जुबैर की तरफ से पेश हुईं वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, “वास्तव में कौन भड़का रहा है? सुदर्शन टीवी चैनल द्वारा शेयर किया गया ग्राफिक. मैंने एक फैक्ट चेकर के रूप में गाजा बमबारी की असल फोटो और असली मस्जिद की फोटो को शेयर किया. इसके लिए 153ए, 295ए में एफआईआर दर्ज की गई.”

 

यूपी सरकार द्वारा जुबैर को ट्वीट करने से रोकने की याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “यह एक वकील को आगे बहस न करने के लिए कहने जैसा है. आप एक पत्रकार को कैसे कह सकते हैं कि वह लिख नहीं सकता?” जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “अगर वह ऐसा कुछ करता है जिससे कानून का उल्लंघन होता है, तो वह कानून के प्रति जवाबदेह है. लेकिन जब कोई नागरिक आवाज उठा रहा हो तो हम उसके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई कैसे कर सकते हैं?”

 

इसके एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से जुबैर पर तुरंत कार्रवाई न करने के निर्देश दिए थे. सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि जुबैर पर सभी एफआईआर एक जैसी लगती है. ऐसा लगता है कि एक मामले में जमानत के बाद दूसरे मामले में उनको रिमांड पर लिया जाता है.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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