Thursday, April 18, 2024
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तमिलनाडु में ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर घमासान, अधिकतर पार्टियां इस आरक्षण के खिलाफ

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए निर्धारित दस फीसदी आरक्षण को लेकर तमिलनाडु में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. राज्य की स्टालिन सरकार समेत कई पार्टियां इसका विरोध कर रही है, जबकि बीजेपी और अन्नाद्रमुक इस आरक्षण के पक्ष में है. याद रहे सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण पर अपनी मुहर लगा दी है. वहीं, दूसरी ओर तमिल नाडु में मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की अध्यक्षता में विधायक दलों की एक बैठक में इसे खारिज करने का फैसला लिया गया.

पार्टियों ने कहा कि संशोधन गरीबों के बीच जातिगत भेदभाव पैदा करेगा और राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करने के लिए कहा. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक और बीजेपी ने मीटिंग का बहिष्कार किया.

बैठक के बाद राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने कहा कि राज्य सरकार 10 फीसदी आरक्षण को लागू नहीं करेगी. उन्होंने कहा, “जहां तक तमिलनाडु की बात है. हम राज्य में आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था 69 प्रतिशत कोटा को फॉलो करते रहेंगे. हम EWS कोटा को लागू नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा कि ईडब्ल्यूएस सभी राज्यों में लगाया जाना चाहिए. हमें लगता है कि राज्यों को आरक्षण के बारे में अपने नियम बनाने में सक्षम होना चाहिए.”

गरीबों की मदद करने वाली योजनाओं को बंद नहीं करेंगे. मीटिंग में बोलते हुए तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटा के विचार को 1950 के दशक में संसद के साथ-साथ तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और कानून मंत्री बीआर अंबेडकर ने पहले ही खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा, “यह नहीं सोचना चाहिए कि हम सवर्ण जातियों के गरीबों के रास्ते में आ रहे हैं. हम गरीबों की मदद करने वाली किसी भी योजना को बंद नहीं करेंगे. लेकिन हम सामाजिक न्याय के सही मूल्यों को भी खराब नहीं होने देंगे.”

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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