Thursday, March 28, 2024
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जेएनयू में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर हंगामा, फिल्म देख रहे छात्रों पर पथराव, कैंपस की बिजली गुल

देश की जानी मानी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू में उस वक्त तनाव बढ़ गया जब गुजरात दंगों को लेकर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पथराव की घटना हुई. पथराव की घटना के बाद डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्र विरोध में प्रदर्शन करते हुए जेएनयू गेट तकपहुंचे. अच्छी बात यह है कि पथराव की इस घटना में किसी के चोटिल होने की कोई खबर नहीं है, और न ही अब तक ये पता लगा पाया है कि पथराव करने वाले कौन थे.

बता दें कि डॉक्यूमेंट्री नर्मदा हॉस्टल के पास जेएनयू छात्र संघ के ऑफ़िस में रात नौ बजे दिखाई जानी थी, जेएनयू छात्र संघ ने स्क्रीनिंग की घोषणा एक दिन पहले ही की थी. स्क्रीनिंग से पहले पूरे कैंपस की बिजली अचानक कट गई. साथ ही इंटरनेट सर्विसेज भी बाधित हो गईं.

इस बीच वहां मौजूद छात्रों का दावा है कि प्रशासन ने बिजली काट दी है, हालांकि छात्रों के आरोप पर जेएनयू प्रशासन का कोई बयान अब तक सामने नहीं आया है.

जेएनयू छात्र संघ की प्रेसीडेंट आइशी घोष ने पीएम मोदी के एक पुराने ट्वीट को ट्वीट कर कहा, “मोदी सरकार पब्लिक स्क्रीनिंग रोक सकती है लेकिन पब्लिक व्यूइंग तो नहीं रोक सकती.” बता दें कि केंद्र सरकार ने यूट्यूब और ट्विटर को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शेयर करने वाले लिंक हटाने का निर्देश दिया था, साथ ही बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने वाले करीब 8 यूट्यूब चैनल्स को ब्लॉक कर दिया है.

इसके बाद जेएनयू छात्रसंघ ने इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाने का फ़ैसला लिया.

बता दें कि बीबीसी ने गुजरात दंगों पर आधारित अपनी डॉक्यूमेंट्री को दो एपिसोड में प्रसारित करने का फैसला किया था. डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड 17 जनवरी को ब्रिटेन में प्रसारित हो चुका है. जबकि दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित होने जा रहा है.

गौरतलब है कि इस डॉक्यूमेंट्री में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में साल 2002 में हुई हिंसा में कम से कम 1000 लोगों की मौत पर सवाल उठाए गए हैं. साथ ही मोदी को गुजरात में हिंसा का माहौल बनाने के लिए ‘प्रत्यक्ष रूप से ज़िम्मेदार’ बताया गया है. हालांकि मोदी हमेशा हिंसा में अपने किसी भी तरह के रोल के आरोपों से इंकार करते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट भी प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात हिंसा में किसी भी तरह की संलिप्तता से पहले ही बरी कर चुका है.

याद रहे कि इससे पहले हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी और केरल में कुछ शिक्षण संस्थानों में छात्रों ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की है. जबकि कई और विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र संघ सामूहिक तौर पर वीडियो देखने का आयोजन करने की घोषणा कर चुके हैं.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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