Sunday, October 6, 2024
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पाकिस्तान में बवाल : गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग भारत से जुड़ने को तैयार 

अखिलेश अखिल

जो आतंक को पनाह देता है और दूसरों को घर को तबाह करने को सोचता है, उसकी तबाही भी आतंक से ही होती है. आज पाकिस्तान का यही हाल है. पाकिस्तान की स्थिति ऐसी हो गई है कि अफगानी तालिबानी भी उससे दूर रहने में ही भलाई समझते हैं. भारत के खिलाफ काम करने वाला पाकिस्तान आज कहीं का नहीं है. कर्ज में डूबा है, और आर्थिक संकट से बर्बाद होने के कगार पर है. इसी बीच गिलगित और बाल्टिस्तान के लोग अब पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आंदोलनरत भी हो गए हैं, और सरकार से कह रहे हैं कि कारगिल रोड खोलकर गिलगित बाल्टिस्तान को भारत के लद्दाख के करगिल जिले में शामिल किया जाए. उनका कहना है कि सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है, लेकिन अब गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर फैसला हम करेंगे.

दरअसल, पाकिस्तान की सेना डेमोग्राफी बदलने के लिए दूसरे प्रांतों के लोगों को वहां बसा रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के लोग उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं. इन लोगों को सेना का समर्थन है. उनकी सुरक्षा के लिए सेना के जवानों की तैनात की जा रही है. इसके चलते स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. ये लोग मसले पर भारत से दखल देने की मांग भी कर रहे हैं.

प्रदर्शन कर रहे लोगों के वीडियो भी सामने आ रहे हैं. जिसमें प्रदर्शनकारियों को नारेबाजी करते हुए सुना जा सकता है. वो कह रहे हैं, ‘आर-पार जोड़ दो, कश्मीर का द्वार खोल दो.’ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हमारे फैसले इस्लामाबाद की सरकार नहीं लेगी और न हम उनको ऐसा करने की इजाजत देंगे. गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर फैसला अब यहां की जनता करेगी.

बता दें कि गिलगित क्षेत्र के मिनावर गांव में सेना के जवान स्थानीय लोगों की प्रॉपर्टी गिराने के लिए पहुंचे थे. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने सेना के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. लोगों का आरोप है कि सेना अवैध कमाई करने के लिए सिस्टेमेटिक ढंग से लोगों की जमीन हड़प रही है.

सेना का विरोध कर रहे मिनावर गांव के लोगों को आस-पास के इलाकों की जनता का समर्थन भी मिल रहा है. कई प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भले ही सेना उन्हें गोली मार दे, लेकिन वो उन्हें जमीन नहीं कब्जाने देंगे. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि यह हमारी पुश्तैनी फिल्म है. हम किसी भी कीमत पर इसे नहीं देंगे.

एक प्रदर्शनकारी ने बताया – पाकिस्तानी सेना आती है और हमें पीटती है. वो हमारी जमीन पर कब्जा कर लेती है. बिना कोई मुआवजा दिए हमारी 12 हजार कनाल जमीन सेना हड़प चुकी है. अब हम उन्हें एक इंच जमीन भी नहीं देंगे. रिपोर्ट के अनुसार, गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं. अवैध टैक्स, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी की वजह से लोगों में पाकिस्तान विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं. मौलिक अधिकारों की मांग करने पर लोगों को पुलिस की लाठियों का सामना करना पड़ता है.

भारत सरकार इस मसले को गौर से देख रही है और लगातार प्रदर्शकारियों पर नजर टिकाये हुए हैं. उधर पाक सेना लगातार प्रदर्शनकारियों पर हमले कर रही है. हालांकि ऐसा कोई पहली बार नहीं है. लेकिन अभी जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं, उससे पाक के भीतर के हालात और भी खराब होंगे और गिलगित – बाल्टिस्तान के लोग भारत के साथ आने को तैयार हो गए तो फिर पाक का क्या अंजाम होगा देखने की बात होगी.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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