Friday, March 29, 2024
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न्यायिक सुधारों पर सेना में भी उभर सकते हैं मतभेद, इजरायली सेना प्रमुख ने सरकार को किया खबरदार

इज़राइल के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हर्ज़ी हलवी ने सरकार को चेतावनी देते हुए खरदार किया है कि न्यायिक सुधारों को लेकर सेना के भीतर भी जबरदस्त विभाजन हो सकता है. सेना प्रमुख जनरल हर्ज़ी हलवी का कहना है कि न्यायिक सुधारों पर संघर्ष के कारण युवा इज़राइली सेना में अनिवार्य सेवा देने से इंकार कर सकते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योफ गैलेंट के साथ मुलाकात के दौरान यह बात कही है.

इजरायली सेना प्रमुख ने कहा कि रिज़र्व फॉर्सेज़ में शामिल लोगों ने कहा है कि न्यायिक सुधारों के विरोध में अनिवार्य सैन्य सेवा का वो हिस्सा नहीं बनेंगे.

सेना प्रमुख की इन आपत्तियों को सुनने के बाद रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री से न्यायिक सुधारों के मुद्दे पर सहयोगी दलों और विपक्ष के साथ बातचीत करने का आग्रह किया है, ताकि प्रदर्शनकारियों को समझने के लिए राजी किया जा सके.

पूर्व रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज ने भी चिंता जताते हुए कहा कि सुधार विधेयक के विरोध में सेना और देश को कमजोर करना सही रवैया नहीं है.

इज़राइली आर्मी प्रमुख का यह बयान उस समय सामने आया है जब इजरायली वायु सेना की एक एलीट यूनिट में 40 पायलटों में से 37 ने घोषणा की है कि वो न्यायिक सुधारों के विरोध में इस सप्ताह के लिए निर्धारित अभ्यास में हिस्सा नहीं लेंगे.

बता दें कि इज़राइल के कई अहम शहरों में न्यायिक सुधार के विरोध में लाखों लोग सड़कों पर हैं, इसे इजराइल के इतिहास का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बताया गया है. इसके अलावा यरुशलम, हाइफा, बेर्शेबा, हर्ज़लिया समेत देश भर के कई शहरों में हजारों लोग सड़कों पर मौजूद हैं.

पिछले दिनों राजधानी तेल अवीव में न्यायिक सुधार बिल के खिलाफ प्रदर्शनकरियों प्रधानमंत्री नेतन्याहू की पत्नी को एक पार्लर में कई घंटे तक बंधक बनाए रखा था, कई घंटों की मेहनत के बाद सेना ने सारा नेतन्याहू को पार्लर से सकुशल बाहर निकाल लिया था.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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