नोटबंदी की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से सवाल किया है कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए ? क्या आरबीआई एक्ट के तहत नोटबंदी की जा सकती है? नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं.
बता दें कि 2016 में अचानक हुई नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच इस मामले में सुनवाईकर रही है. कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से नोटबंदी को अंजाम दिया गया इस प्रक्रिया के पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है.
बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस नज़ीर ने केंद्र से पूछा है कि अब इस मामले में कुछ बचा है? जस्टिस गवई ने कहा, अगर कुछ नहीं बचा तो आगे क्यों बढ़ना चाहिए? याचिकाकर्ता में से एक के लिए प्रणव भूषण ने कहा कुछ मुद्दे हैं. बाद की सभी अधिसूचनाओं की वैधता, असुविधा से संबंधित मामले, क्या नोटबंदी ने समानता के अधिकार और बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मुझे लगता है कि कुछ अकादमिक मुद्दों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है. क्या अकादमिक मुद्दों पर फैसला करने के लिए पांच जजों को बैठना चाहिए.
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि था कि इस मामले में अब क्या बचा है? क्या इस मामले का परीक्षण करने की जरूरत है? क्या ये मामला निष्प्रभावी तो नहीं हो गया? क्या ये मामला अब अकादमिक तो नहीं रह गया?