उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सहकारिता भवन में संविधान, भारत और मानवाधिकारों के लिए भारतीय मुसलमानों के प्रतिनिधि संगठन आई.एम.सी.आर (इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स) के तत्वावधान में आयोजित एक सम्मेलन में भारत के संविधान की भावना के आलोक में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए संबंधित समुदाय के सदस्यों, बुद्धिजीवियों और प्रबुद्धजनों ने एकजुट होकर कहा कि “हमारा संविधान हमारे मौलिक अधिकारों का पूर्ण रक्षक है. हम इससे एक इंच भी कम में संतुष्ट नहीं हैं, हम भारत के संविधान की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करते रहेंगे और समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर अपने मौलिक अधिकार प्राप्त करेंगे.
समाज के एक वर्ग द्वारा देश और संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को तोड़ने के प्रयासों के बीच, मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बढ़ती नफरत, सार्वजनिक संस्थानों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और एक वैकल्पिक परिदृश्य जहां नौकरियां चली गई हैं, आय में कमी आई है. साम्प्रदायिक सौहार्द खत्म हो गया है और देश कई अन्य मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है, मुस्लिम समुदाय के नेताओं, संबंधित सदस्यों और बुद्धिजीवियों ने शनिवार, 12 नवंबर, 2022 को सहकारिता भवन सभागार, विधानसभा मार्ग, लखनऊ में चर्चा के लिए एकत्र हुए. और ‘भारतीय संविधान और नागरिकों के अधिकार’ विषय पर इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण सम्मेलन के दौरान, “देश और राष्ट्र के प्रतिनिधि जिम्मेदार व्यक्तियों” ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया.
उक्त सभा को संबोधित करने वाली प्रमुख हस्तियों में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला, पूर्व डिप्टी स्पीकर (राज्यसभा) डॉ. के. रहमान खान, यूपी, उत्तराखंड, मिजोरम के पूर्व राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, पूर्व सांसद सैयद अजीज पाशा, मुहम्मद नसीम सिद्दीकी, पूर्व अध्यक्ष, अल्पसंख्यक आयोग महाराष्ट्र, बहुजन समाज पार्टी से पूर्व सांसद सालिम अंसारी, आईएमसीआर के अध्यक्ष और पूर्व सांसद मुहम्मद अदीब, आईएमसीआर के संयोजक डॉ. आजम बेग, संगठन सचिव मसूद हुसैन, रिटायर्ड आईपीएस जावेद खान और आफताब आलम, कार्यकारी सदस्य इलियास सेफ, कार्यकारिणी सदस्य कर्नल जाफरी और रईस अहमद, सामाजिक कार्यकर्ता शतारिक सिद्दीकी समेत करीब 300 से अधिक मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने सभा में शिरकत की.